कड़ाके की ठण्ड में आप जब रजाई में बैठे हुए चाय की चुस्कियां ले रहे होते हैं तब रीढ़ की हड्डी गला देने वाली ठण्ड में ऐसे हजारों असहाय और गरीब जिंदगियां अपने जीवन और मृत्यु से संघर्ष कर रही होती है. कांपते-ठिठुरते उनकी पूरी रात सड़क की फूटपाथ और खुले मैदान में कटती है. दिल्ली की सड़को पर खुले आसमान के नीचे चीथरों से लिपटे कुछ लोग कंपकंपाती होठ और कटकटाते दांतो से ठण्ड को कोश रहे होते है। हर रात कुछ बदनसीब लोग कंपकंपना देने वाली ठण्ड और हड्डियों को भेद देने वाली हवाओं के सामने दम तोड देते है तो कुछ बदनसीब अगली रात कसे दम तोड़ देते है। सन् 2018-2019 में ठण्ड से क्रमश: मरने वाले लोगों की संख्या 340 थी

ठण्ड से ठिठुरते रूह को कोई एक छोटी सी मदद कर देराष्ट्र के लिये संघर्ष करने वालों को निरंतर सेवा से आशीर्वाद प्राप्त करते रहना चाहिए।उसके इन्तज़ार में उनकी आखें पथरा जाती है. उनका शरीर ये भूल जाता है की उसके ऊपर ठण्ड की मार पड़ रही है,

या फिर शीतलहर की बर्फीली पानी की बूंदें. साथ हीं भूखे पेट कराहती ज़िंदगी पहाड़ सी कठोर हो जाती है. बेबसी और लचारी से भरी जिन्दगी जीने वाले अनगिनत लोगों को एक नई जिन्दगी देने के लिए राष्ट्र निर्माण संगठन कंबल वितरण कर रहा है. आप भी हमारे इस मुहिम का हिस्सा बनिए और समर्थन कीजिये. इस नेक और पुनीत कार्य में सहयोग का आप भी पुण्य का भागीदार बनिए। आईये हमारे साथ गरीब और बेसहारा को गम कपड़े और कंबल का आशीर्वाद दीजिए।